प्रमुख बिजली मीटर के बिजली मापने की क्षमता की तुलना: इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर, इलेक्ट्रॉनिक (डिजिटल) मीटर और स्मार्ट मीटर
Comparison of Power Measuring Power of Major Electricity Meters: Electromechanical Electricity Meter, Electronic (Digital) Meter and Smart Meter
हर महीने, बिजली की खपत पर हुआ खर्च, यह एक ऐसा खर्च होता है, जिसे हर किसी को एक नियमित आधार पर सहन करना ही पड़ता हैं और हम इससे किसी भी हालत में बच भी नहीं सकते हैं| जब भी हम बिजली का बिल प्राप्त करते हैं, हमे विभिन्न उपकरणों के उपयोग के अनुसार, एक निश्चित राशि चुकानी पड़ती हैं| परन्तु, जब भी किसी महीने अगर बिजली का बिल पिछले महीनो की तुलना में अधिक आ जाता हैं तो, हम वास्तव में ऐसा सोचने लगते हैं, “कैसे, मेरा बिल पिछले महीने की तुलना में बहुत अधिक है, जबकि मेरी बिजली खपत का तरीका तो पिछले महीनो की तरह ही था? यह हमारे लिए एक आश्चर्य का विषय बनता हैं और हमे लगता हैं मनो जरूर हमारे बिजली बिल में कुछ गड़बड़ हैं”| वास्तव में कुछ लोगों की ये भी राय होती है, की इलेक्ट्रॉनिक मीटर, इलेक्ट्रोमेकानिकल मीटर की तुलना में अधिक तेजी से चलता है| क्या ऐसी अवधारणा सही हैं, या गलत| इस लेख में हम इसी विषय पर अधिक विवेचना करते हैं|
Table of Contents
• बिजली मीटर (ऊर्जा मीटर) क्या होते हैं?
• इलेक्ट्रॉनिक मीटर के विभिन्न प्रकार
• इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर के साथ समस्या
• संक्षेप में
• सन्दर्भ:
अगर आप कभी भी ऐसी स्थिति में आएं हो तो, विश्वास रखिये की आप अकेले नहीं हैं, जिन्होंने कुछ इस तरह का महसूस किया है| वास्तव में बिजली
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7:16 amSeptember 26, 2021Sandhya kumari
Sr, mere ghr me bijli ka bil pahle only 700 800 rupes aata tha lekin achank 23873 rupes aagya h kya kre sr please kuch bataye
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4:52 pmOctober 10, 2021Anuj SIngh Pundir
महोदय, नमस्कार-क्या आप बता सकते है की इलेक्ट्रॉनिक सिंगल फेस 10-60 एम्पेयर एलसीडी डिस्प्ले मीटर की MRI करके यह जाना जा सकता है की बिजली का मीटर किस तिथौ को लगाया गया या बिजली के मीटर ने लोड किस तारीख से लेना शुरू किया।
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बचाओ पर हमे नियमित रूप से इस ही मुद्दे पर पाठकों के कई प्रश्न अमूमन प्राप्त होते रहते हैं| जहाँ पाठकों के अनुसार यद्यपि उनके बिजली खपत का तरीका पिछले महीनो की तरह समान होने के बावजूद, उनका बिजली का बिल कई बार बढ़ा हुआ आता हैं| वास्तव में, इसका एक अत्यंत महत्वपूर्ण कारण उनका बिजली मीटर होता हैं| यह कैसे होता हैं, आइये देखते हैं|
बिजली मीटर (ऊर्जा मीटर) क्या होते हैं?
एक बिजली मीटर ऐसा यन्त्र होता है, जो घर में या किसी कार्यालय में विभिन्न उपकरणों द्वारा खर्च विद्युत ऊर्जा को मापता है| बिजली के मीटर आजकल घरों में आमतौर पर दिखते ही हैं, जब भी आप एक मीटर को देखे, तो आप क्या पाएंगे – कुछ संख्या (मीटर पर रीडिंग)| बिजली मीटर पर अंकित इस संख्या का क्या महत्व होता है, आइये इसे समझते हैं? मीटर में इनका kWh के रूप में उल्लेख किया जाता है, यह आपके द्वारा खपत हुई बिजली की यूनिट की खपत की गणना करती हैं| आपका बिजली का बिल इस मीटर पर ही पूरी तरह से निर्भर रहता है| बिजली मीटर पर रीडिंग ‘कुमुलेटिव’ रहती हैं| एक विशेष माह की रीडिंग उस महीने की बिजली मीटर की रीडिंग और पिछले महीने की रीडिंग के बीच गणना कर अंतर को दर्शाती हैं| इस तरह आपको उस विशेष महीने के बिजली की खपत की गणना होती हैं| अब अगर यह रीडिंग कम हैं तो इसका अर्थ यह हैं की मीटर द्वारा खपत कम हुई हैं, जिससे फलस्वरूप आपका बिजली का बिल भी कम हो जाएगा और इसका उल्टा होने पर बिजली का बिल भी अधिक हो जायेगा|
इलेक्ट्रॉनिक मीटर के विभिन्न प्रकार
बिजली मीटर विभिन्न प्रकार में आते हैं। इनके कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित है:
• इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर: भारत में इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर, कुछ वर्षो पहले बहुत आम थे| ये आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत अधिक लोकप्रिय है, जहां आधुनिक तकनीक, शहरी क्षेत्रों की तुलना में प्रवेश करने में काफी सफल नहीं हो पाएं हैं| इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर की कार्यप्रणाली काफी सरल होती है। इनमे एक गैर चुंबकीय धातु डिस्क आंतरिक रूप से जुड़ी होती है, जो इसके माध्यम से गुजर रही ऊर्जा शक्ति के आधार पर घूमती हैं| तो, अगर इसके माध्यम से गुजर रही ऊर्जा शक्ति अधिक होती हैं, तो डिस्क तेजी से घूमती हैं, और अगर ऊर्जा शक्ति कम हैं तो यह डिस्क धीमी रफ़्तार से घूमती है। वास्तव में, डिस्क के घूमने की दर से ही बिजली मीटर पर रीडिंग का फैसला होता हैं| जितनी ज्यादा या कम बार यह डिस्क घूमता हैं, बिजली मीटर पर रीडिंग भी उसी अनुपात में बढ़ती या घटती हैं| क्यूंकि यहाँ डिस्क-रोटेशन शामिल हैं, इसलिए घुमाव की सुविधा के लिए डिस्क भी कुछ विद्युत ऊर्जा की खपत करेगा, ताकि वह घूमने में सक्षम हो सके| डिस्क द्वारा लगभग 2 वाट की बिजली का सेवन घूमने में किया जाता है, परन्तु यह बिजली की खपत, इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर पर पंजीकृत नहीं होती है|
• इलेक्ट्रॉनिक (डिजिटल) मीटर: इलेक्ट्रॉनिक (डिजिटल) मीटर आजकल कई शहरी क्षेत्रों में तेजी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं। एक इलेक्ट्रॉनिक मीटर में एक एलईडी / एलसीडी डिस्प्ले होता है, जो जुड़े उपकरणों की बिजली खपत की रीडिंग करता है| इलेक्ट्रॉनिक मीटर में, इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर के विपरीत डिजिटल रीडिंग की व्यवस्था होती है| इलेक्ट्रॉनिक मीटर काफी अधिक सक्षम भी होते हैं और वे विजली की हर एक सूक्ष्म सी भी खपत (छोटी इकाई) को रजिस्टर करते हैं|
• स्मार्ट मीटर: स्मार्ट मीटर, विद्युत मीटर के प्रकार में एक नवीनतम व परिवर्तनात्मक अध्याय को जोड़ते हैं| वैसे तो यह इलेक्ट्रॉनिक मीटर की तरह ही लगते हैं, परन्तु वास्तव में यह दोनों प्रकार के विद्युत मीटर की तुलना में बेहतर ही होते है| इस अर्थ में वो दोनों संकलन के नियमित एवं सामान्य सेवाएं प्रदान करने के साथ, वह बिजली कंपनी से इंटरनेट के द्वारा जुड़े भी रहते हैं| इसका अर्थ यह हैं, की बिजली कंपनी के किसी भी आधिकारी को आपके घर आने की आवश्यकता नहीं पड़ती हैं, और बिजली की रीडिंग स्वचालित रूप से इंटरनेट के द्वारा आपको भेज दी जाती है।
इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर के साथ समस्या
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर निश्चित रूप से काफी आम हो गए हैं| परन्तु, इनमे कुछ समस्याएं होती हैं| क्यूंकि इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर अलग करने योग्य और गतिशील भागों से मिलकर तैयार होता हैं, इसलिए यह स्वाभाविक है कि समय के साथ निश्चित रूप से इनमे कुछ टूट-फूट या घिसाव तो होगा ही|
अमरीका की एक संस्था एनालॉग डिवाइसेज इंक अमरीका द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार एक विद्युत मीटर की सटीकता विभिन्न पर्यावरणीय कारकों के कारण कमजोर हो सकती है| पर्यावरणीय कारक जैसे धूल और गंदगी विद्युत मीटर के कुशल संचालन को प्रभावित करते हैं| अन्य कारक जैसे की जंग, घिसा-पिटा गियर, और यहाँ तक की कीड़े भी इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर के साथ समस्या उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं| यह विद्युत मीटर को सही बिजली मापने में विभिन्न प्रकार की समस्या पैदा करते हैं| मैकेनिकल गियर का लुब्रिकेंट्स सूख सकते हैं, जिससे गियर के दांत कमजोर हो जातें यहीं और टूटने लगते हैं, जिससे परिणाम स्वरुप गियर के अनुपात (गियर रेश्यो) भी प्रभावित होता हैं| इसके अलावा इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर पर अचानक शॉक या कम्पन (विब्रेशन्स) का भी काफी प्रतिकूल असर पड़ता हैं, जिससे रोटेटिंग डिस्क रुक सकता हैं, जिस कारण इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर में गलत कैलिब्रेटेशन आते हैं|
विद्युत मीटर की सटीकता में परिवर्तन को एक ग्राफ के रूप में हमने नीचे दिखाया है:
Source: Electric Power Research Institute (http://www.epri.com/Pages/Default.aspx)
इलेक्ट्रॉनिक (डिजिटल) मीटर, निश्चित रूप से इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर की तुलना में एक बेहतर बिजली मीटर होते हैं। इसका मुख्य कारण यह होता हैं की इलेक्ट्रॉनिक मीटर में गतिशील पार्ट्स नहीं होते हैं, जिनको जंग या फिर उपरोक्त संदर्भित किसी और कारण से कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ सकता हैं| इलेक्ट्रॉनिक मीटर न केवल उपयोग की गई यूनिट के बारें में सटीक जानकारी प्रदान करते हैं बल्कि, अन्य उपयोगी जानकारी जैसे तात्कालिक और अधिकतम उपयोग दर की मांग, वोल्टेज, बिजली पहलू, इत्यादि के बारें में भी सही सूचना उपलब्ध कराते हैं|
संक्षेप में
अगर आप अपने बिजली की खपत में अचानक वृद्धि को देखते हैं, जो आपको भ्रमित और परेशान कर रहा हैं, इसकी बहुत संभावना है की यह आपके घर में मीटर के प्रकार में परिवर्तन के कारण हो सकता है| अगर हाल ही में, आपका इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर को इलेक्ट्रॉनिक मीटर द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, तो यह संभव की आपको ऐसी परीस्थिति का अनुभव करना पड़े| इसका मतलब यह नहीं हैं, की मीटर बदलने से आपकी बिजली की खपत बढ़ गई हो। ऐसा मात्र इसलिए होता हैं, क्यूंकि आपका पुराना विद्युत मीटर बिजली की खपत की सूक्ष्म खपत को मापने में सक्षम नहीं होता था| जब आपका इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर, इलेक्ट्रॉनिक मीटर द्वारा प्रतिस्थापित होता हैं, तब वह इन सूक्ष्म बदलावों को भी मापने में सफल हो जाता हैं और इसके कारण आपके बिजली की बिल में अचानक कुछ वृद्धि हो जाती हैं|
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